उच्च पद पर रहते जिनको कभी मुंह नहीं लगाया, अब उनके दर पर दर दर भटक रहे हैं। हाई कमान की फटकार लगने के बाद नेताजी सबके दरवाज़े पर दस्तक देने को मजबूर हैं

उच्च पद पर रहते जिनको कभी मुंह नहीं लगाया, अब उनके दर पर दर दर भटक रहे हैं। हाई कमान की फटकार लगने के बाद नेताजी सबके दरवाज़े पर दस्तक देने को मजबूर हैं
देहरादून। उत्तराखंड की सियासत में मौजूदा समय में फोटो वॉर चरम पर है। इन्हीं फोटो में एक नेता जी की सिलसिलेवार जारी की गई फोटो पर लोग चुटकी ले रहे हैं। ये फोटो ऐसे नेताजी की हैं, जिन्हें अपने एटीट्यूड के कारण कुर्सी तक खोनी पड़ी। हमेशा गर्दन टेडी कर, बात बात पर घड़ी देखने और अपने पार्टी कार्यकर्ताओं, मंत्री, विधायकों से अधिक नौकरशाहों को तवज्जो देने वाले नेताजी के सुर ढीले हो गए हैं।
नेताजी ने पावर में रहते हुए जिन वरिष्ठ नेताओं को कभी तवज्जो नहीं दी, आज उन नेताओं से निकटता दिखाने को उन्हें ढूंढते हुए दिल्ली के बंगलों से लेकर देहरादून के जंगलों तक पहुंच जा रहे हैं। इस दौरान नेताजी को अपना कुर्ता तक बदलने का समय नहीं मिल पा रहा है। जिन नेताओं के साथ फोटो खिंचवा वायरल कर राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने का नेताजी प्रयास कर रहे हैं, उनके इस राजनीतिक षडयंत्र को समझ रहे हैं। ऐसा करने को वो जिन नेताओं के चक्कर काट रहे हैं, वो नेताजी के जाने के बाद अपनी हंसी दबा नहीं पा रहे हैं। एक पूर्व सीएम ने साफ कहा कि, अगला भाई जब सत्ता में था, तब कभी औपचारिकता को भी अगले भाई ने कभी रामा रामी तक नहीं की। अब अचानक नेताजी का ये मूवमेंट सवालों के घेरे में है। नेताजी का अपनी परंपरागत लाइन से हटकर व्यवहार करने के पीछे की असल कहानी लोग समझ रहे हैं। साथ ही नेताजी की समझदारी पर भी सवाल उठा रहे हैं। सारी दुनिया जान रही है कि नेताजी के कंधे पर रखकर वो आदमी बंदूक चला रहा है, जिसने पूरी जिंदगी हर सरकार को अस्थिर करने का काम किया है। यहां तक कि खुद नेताजी को कुर्सी से उतारने का षडयंत्र इन्होंने ही रचा। अब एकबार फिर टेडी गर्दन, अकड़ी कमर वाले नेताजी फिर गलत लाइन पर आगे बढ़ गए हैं। यही नेताजी दिल्ली में मीटिंग छोड़ कर बाहर निकल गए थे। जिस पर डांट लगी तो फिर अगले दी प्रदेश प्रभारी से डांट मिलने पर मुलाकात को पहुंच गए।
उच्च पद पर रहते जिनको कभी मुंह नहीं लगाया, अब उनके दर पर दर दर भटक रहे हैं। हाई कमान की फटकार लगने के बाद नेताजी सबके दरवाज़े पर दस्तक देने को मजबूर हैं।