July 29, 2025

बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय की बड़ी पहल, तुंगनाथ मंदिर को भू-धंसाव और जल रिसाव से बचाने को मुख्यमंत्री से मिलकर सौंपी कार्ययोजना

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बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय की बड़ी पहल, तुंगनाथ मंदिर को भू-धंसाव और जल रिसाव से बचाने को मुख्यमंत्री से मिलकर सौंपी कार्ययोजना

 

 

 

 

 

देहरादून। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने आज सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट कर तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री धामी को पत्र भी दिया।

 

उल्लेखनीय है कि रुद्रप्रयाग जनपद अंतर्गत तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से 12,073 फीट पर स्थित है। विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर की पंच केदारों में से तृतीय केदार के रूप में मान्यता है।

 

मुख्यमंत्री से भेंट के दौरान अजेंद्र ने कहा कि तुंगनाथ मंदिर ना केवल ऐतिहासिक अपितु पौराणिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और हमारी प्राचीन भव्य विरासत का प्रतीक भी है।

 

उन्होंने कहा कि विगत कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में सूक्ष्म भू-धंसाव जैसी समस्या ने मुख्य मंदिर की सरंचना पर दुष्प्रभाव डाला है। मंदिर के पत्थरों के बीच कुछ स्थानों पर दरार उभर आई हैं। पत्थरों के बीच रिक्तता उत्पन्न होने से बरसात के समय गर्भ गृह में पानी रिसने लगता है।

 

अजेंद्र ने कहा कि तुंगनाथ मंदिर बीकेटीसी के अधीन है। मंदिर समिति का अध्यक्ष रहते हुए उनके द्वारा तुंगनाथ मंदिर और मंदिर परिसर के जीर्णोद्वार, मरम्मत कार्य, सौंदर्यीकरण आदि के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई थी।

 

यही नहीं मंदिर की पौराणिकता व ऐतिहासिकता को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) व भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) समेत केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) जैसी प्रतिष्ठित विशेषज्ञ संस्थाओं से मंदिर और मंदिर परिसर का विस्तृत अध्ययन करा कर, उनसे रिपोर्ट मांगी गई थी, जो कि उनके द्वारा उपलब्ध करा दी गई थी।

 

इसके साथ ही उनके कार्यकाल में जीर्णोद्वार आदि कार्यों के लिए प्रदेश शासन से भी अनुमति मांगी गई थी। शासन द्वारा निर्माण कार्यों की स्वीकृति प्रदान करते हुए सभी कार्यों की DPR, डिजाइन व निर्माण कार्य CBRI के माध्यम से सम्पादित कराने के निर्देश दिए गए थे।

 

शासन की अनुमति के कुछ समय पश्चात उनका कार्यकाल खत्म हो गया था। वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा मंदिर समिति के नए बोर्ड का विधिवत गठन कर दिया गया है। लिहाजा, प्राचीन श्री तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण की दिशा में तत्काल कदम उठाया जाना आवश्यक प्रतीत होता है।

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